भोपाल। मध्य प्रदेश में मंगलवार को कोरोना संक्रमण के 57 नए मामले सामने आए हैं. इसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 2387 पहुंच गई है. इसके अलावा पूरे प्रदेश से सात लोगों के कोरोना से मौत की खबर आ रही है. लेकिन इस दौरान चिंता का विषय उज्जैन जिले में बढ़ता मृत्यु दर है. यहां सोमवार को यह बढ़कर 14.28 प्रतिशत हो चुका है. जो देश में सबसे ज्यादा है. यह दर कोरोना से परेशान महानगर अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली से भी ज्यादा है. जहां उज्जैन से 20 गुना अधिक मामले सामने आए हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक इस तरह की परिस्थिति का सामना कर रहे उज्जैन के प्रशासनिक अधिकारी जिले के स्वास्थ्य ढांचे के कारण परेशान दिख रहे हैं. इसका कारण यहां के सिर्फ एक निजी मेडिकल कॉलेज पर सबकी निर्भरता है. यहां पास के आगर मालवा और रतलाम जिले से भी लोग इलाज के लिए आते हैं. इस हॉस्पिटल के सीनियर मैनेजमेंट के लोग क्वारंटाइन में जा चुके हैं. इसके अलावा यहां काम करने वाले कई कर्मचारी ड्यूटी करने के इनकार कर चुके हैं. वहीं यहां जिन मरीजों का इलाज चल रहा है, वो खाने की खराब क्वालिटी और इलाज की सही व्यवस्था नहीं होने की शिकायतें कर रहे हैं.
चार लोगों की हॉस्पिटल के बेड पर मौत, आठ की रिपोर्ट आने से पहले जा चुकी थी जान
यहां 27 अप्रैल तक 17 में से चार लोगों की मौत हॉस्पिटल की बेड पर हुई. इसके अलावा कई ऐसे भी रहे जो समय से यहां पहुंच नहीं सके. अतिरिक्त जिला अधिकारी सुजान सिंह रावत ने बताया कि आठ संक्रमित मरीजों की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो चुकी थी. कोरोना से संबंधित मृत्यु दर इंदौर में अप्रैल के मध्य 10 प्रतिशत थी. जो सोमवार को घटकर 4.6 प्रतिशत हो चुकी है. वही इसी दिन दिल्ली में ये दर 1.7 प्रतिशत, सूरत में 3.3 प्रतिशत, मुंबई में 3.8 प्रतिशत, अहमदाबाद में 5 प्रतिशत और पुणे में 7.6 प्रतिशत थी. इस दर में संक्रमित लोगों की पुष्टि होने और इनमें से जिन लोगों की मौत हुई है वो शामिल है।
जिला प्रशासन को मिली थी शिकायत
जिला प्रशासन को कोरोना के सही तरीके से इलाज नहीं होने की शिकायत मिली है. यह बात जिला कोविड 19 नोडल ऑफिसर एचपी सोननिया ने कही. इसके बाद हॉस्पिटल के वार्ड में सीसीटीवी कैमरा लगाया है. ताकि इस पर नजर रखी जा सके. उन्होंने कहा कि मुख्य शिकायत खाने को लेकर थी, जिसका निदान कर दिया गया है।