15 दिन से भूख से तड़प रहे थे बच्चे, नहीं बर्दाश्त कर पाया तो मजदूर ने लगा ली फांसी


कानपुर। कोविड-19 से निपटने के लिए डेढ़ माह से अधिक समय से देशभर में लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन की सबसे अधिक मार गरीबों और मजदूरों पर पड़ रही है. रोज कमाने वाले मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति खड़ी हो गई है. ऐसी ही स्थिति कानपुर निवासी एक मजदूर के सामने खड़ी हो गई. काम नहीं मिलने से काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी मजदूर के परिवार में बच्चों को खाने के लिए कुछ भी नहीं था. बच्चे कभी पानी पीकर तो कभी बिना कुछ खाए ही सो जाते. इससे छुटकारा पाने के लिए मजदूर ने आत्महत्या कर ली।

परिवार में हैं 6 सदस्य

ऐसी स्थिति में मजदूर ने काम पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे काम नहीं मिला. वह 15 दिन से अपने बच्चों को भूखा देखकर अंदर से टूट चुका था. इसके बाद उसने फांसी लगाकर अपनी जीवन-लीला समाप्त कर ली. इस मजदूर का नाम विजय बहादुर (40) है. उसका पेशा मजदूरी करना था. मजदूरी करके ही वह बेटों शिवम, शुभम, रवि, बेटी अनुष्का और पत्नी रंभा का पेट भरता था।


इस गरीब की मौत का जिम्मेदार कौन है
लॉकडाउन के डेढ़ महीना लंबा खींचने की वजह से मजदूर की आर्थिक स्थिति खराब होती गई. मजदूरों की स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती की वे बिना कमाएं अधिक दिन तक अपने परिवार का खर्च चला सकें. पड़ोसियों और परिजनों ने बताया कि विजय के परिवार को कई दिनों से भरपेट भोजन नहीं मिला था. इस बेबसी से छुटकारा पाने के लिए उसने आत्मघाती कदम उठा लिया और बुधवार शाम को विजय ने फांसी लगा ली. घर पहुंची पत्नी ने पड़ोसियों की मदद से विजय को फंदे से उतारकर हैलट में भर्ती कराया, जहां देर रात उसकी मौत हो गई।